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Friday 4 May 2018

Neemrana Dialogue: No Change In India Position That Terror And Talks Cannot Go Together - भारत की पाक को दो टूक, आतंकवाद और बातचीत साथ साथ नहीं चल सकते

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Fri, 04 May 2018 09:57 AM IST



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भारत सरकार का कहना है कि उसने पाकिस्तान के साथ अनौपचारिक बातचीत नीमराना शुरू कर दी है। यह दोनों देशों के बीच एक सामान्य प्रक्रिया है। जहां एक तरफ विदेश मंत्रालय इस बात पर चुप्पी साधे हुए है कि इस बातचीत को सरकार की तरफ से मंजूरी मिली थी या नहीं वहीं मंत्रालय का कहना है कि वह पहले की स्थिति पर कायम है कि बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते।

इस बातचीत को नीमराना डायलॉग नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि साल 1991-92 में राजस्थान के नीमराना किले में भारत और पाकिस्तान के बीच पहली बैठक हुई थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का कहना है कि दोनों तरफ से व्यावहारिक आदान-प्रदान सामान्य प्रक्रिया के तौर पर जारी है। यह दो नागरिक समाज के बीच एक बैठक थी जोकि पीपुल टू पीपुल बातची का का हिस्सा है। इसमें कुछ नया नहीं है। 

नीमराना डायलॉग की नए सिरे से शुरुआत करने के लिए हाल ही में भारत से एक दल इस्लामाबाद गया था। भारत की तरफ से जहां इस दल का प्रतिनिधित्व पूर्व विदेश सचिव और पाकिस्तान विशेषज्ञ विवेक काटजू और पूर्व एनसीईआरटी प्रमुख जेएस राजपूत ने किया था। वहीं पाकिस्तान की तरफ से पूर्व मंत्री जावेद जब्बर सहित दूसरे लोग मौजूद थे। यह बातचीत 28 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच हुई थी। 

जब कुमार से पूछा गया कि क्या इस डायलॉग को मंत्रालय का समर्थन प्राप्त है तो उन्होंने इसका सीधा जवाब ना देते हुए बस इतना कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है। हालांकि उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के प्रति भारत का रवैया साफ है जिसमें कोई बदलाव नहीं आया है। हमारी स्थिति अब भी वही है कि वार्ता और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते हैं। सूत्रों के अनुसार दोनों पक्षों के बीच कई मुद्दों को लेकर बातचीत हुई थी।



भारत सरकार का कहना है कि उसने पाकिस्तान के साथ अनौपचारिक बातचीत नीमराना शुरू कर दी है। यह दोनों देशों के बीच एक सामान्य प्रक्रिया है। जहां एक तरफ विदेश मंत्रालय इस बात पर चुप्पी साधे हुए है कि इस बातचीत को सरकार की तरफ से मंजूरी मिली थी या नहीं वहीं मंत्रालय का कहना है कि वह पहले की स्थिति पर कायम है कि बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते।


इस बातचीत को नीमराना डायलॉग नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि साल 1991-92 में राजस्थान के नीमराना किले में भारत और पाकिस्तान के बीच पहली बैठक हुई थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का कहना है कि दोनों तरफ से व्यावहारिक आदान-प्रदान सामान्य प्रक्रिया के तौर पर जारी है। यह दो नागरिक समाज के बीच एक बैठक थी जोकि पीपुल टू पीपुल बातची का का हिस्सा है। इसमें कुछ नया नहीं है। 

नीमराना डायलॉग की नए सिरे से शुरुआत करने के लिए हाल ही में भारत से एक दल इस्लामाबाद गया था। भारत की तरफ से जहां इस दल का प्रतिनिधित्व पूर्व विदेश सचिव और पाकिस्तान विशेषज्ञ विवेक काटजू और पूर्व एनसीईआरटी प्रमुख जेएस राजपूत ने किया था। वहीं पाकिस्तान की तरफ से पूर्व मंत्री जावेद जब्बर सहित दूसरे लोग मौजूद थे। यह बातचीत 28 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच हुई थी। 

जब कुमार से पूछा गया कि क्या इस डायलॉग को मंत्रालय का समर्थन प्राप्त है तो उन्होंने इसका सीधा जवाब ना देते हुए बस इतना कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है। हालांकि उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के प्रति भारत का रवैया साफ है जिसमें कोई बदलाव नहीं आया है। हमारी स्थिति अब भी वही है कि वार्ता और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते हैं। सूत्रों के अनुसार दोनों पक्षों के बीच कई मुद्दों को लेकर बातचीत हुई थी।





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